जैविक खेती क्या है
Farming
Thu May 08 2025
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जैविक खेती क्या है एक सम्पूर्ण मार्गदर्शिका

जैविक खेती क्या है? जैविक खेती(Organic Farming) एक पारंपरिक खेती प्रणाली है जहां कोई रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और संश्लेषित पदार्थों का उपयोग नहीं किया जाता। इसमें प्राकृतिक संसाधनों के समान गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट, हरी खाद और जैविक कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है।


इसका मुख्य कार्य मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखना, पर्यावरण को बचाना और स्वास्थ्यवर्धक खाद्य उत्पादन करना है। यह किसानों के लिए भी फायदेमंद है और उपभोक्ताओं के लिए भी रसायन-मुक्त खाद्य सामग्री संचारती है। वर्तमान समय में बढ़ते प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को देखते हुए जैविक खेती की बढ़ती मांग हो रही है।


जैविक खेती के उद्देश्य(Objectives of Organic Farming)

जैविक खेती के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं


  • मिट्टी को उर्वरता प्रदान करने के लिए: जैविक खाद के प्रयोग से मिट्टी के गुण और बनावट में पूर्ण विकास।
  • पर्यावरण बचाव: रसायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग से उत्पन्न प्रदूषण को न्यूनीकरण करना।
  • स्वस्थ और पोषक आहार उपज प्रदान करना: रसायनों से रहित फसलें बाड़ने से मानव स्वास्थ्य का बचाव करना।
  • स्थिर खेती प्रणालियों का प्रसार करना: प्रांगण की कृषि उत्पादन के लिए बहुत लंबे समय तक चलती खेती प्रणालियों का अनुसरण करना।


जैविक खेती का रूप(Forms of Organic Farming)

Specific major forms of organic farming are as follows:


  • गोबर खाद (Farm Yard Manure): जानवरों के मल में निकले गोबर और अन्य जैविक पदार्थों से तैयार खाद, जो मिट्टी की प्रतिक्रियाशीलता को बढ़ाता है।
  • कंपोस्ट (Compost): घरेलू और कृषि अपशिष्टों से बना खाद, जो पोषक तत्वों से भरपूर होती।
  • वर्मी कंपोस्ट (Vermicompost): केंचुओं के द्वारा बनाया खाद, जो पौधों के लिए भरपूर होती।
  • हरी खाद (Green Manure): विशेष पौधों का खेती करना और मिट्टी में मिलाना, जिससे नाइट्रोजन की पैदावार बढ़ती है।
  • बायोगैस स्लरी (Biogas Slurry): बायोगैस प्लांट से प्राप्त खाद, जो पौधों के लिए अत्यधिक पोषक होती।

जैविक खेती का महत्व (Importance of Organic Farming)

जैविक खेती का महत्व निम्नलिखित बिंदुओं में देखा जा सकता है:


  • मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि: जैविक खादों के उपयोग से मिट्टी की गुणता और संरचना में सुधार होता है।
  • वृद्धि गई जल धारण क्षमता: जैविक खेती क्या है? जैविक खेती से मिट्टी की जल धारण क्षमता बढ़ती है, जिससे सिंचाई की आवश्यकता कम होती है।
  • स्वस्थ पर्यावरण: हानिकारक रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से होने वाले प्रदूषण को कम करके पर्यावरण की रक्षा होती है।
  • स्वस्थ और पोषक खाद्य उत्पादन: रसायनों से मुक्त फसलें उगाकर मानव स्वास्थ्य की रक्षा होती है।

जैविक खेती में उपयोग होने वाले खाद और उर्वरक(Fertilizers and Manures Used in Organic Farming)

जैविक खेती में उपयोग होने वाले मुख्य उर्वरक और खाद निम्नलिखित हैं:


  • गोबर खाद: जानवर के गोबर से बनी खाद, जो मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती है।
  • कंपोस्ट: घरेलू और कृषि वाष्पों से निर्मित खाद, जो पोषक तत्वों से भरपूर होती है।
  • वर्मी कंपोस्ट: केंचुओं के सहारे निर्मित खाद, जो पौधों के लिए अत्यधिक प्रियहितक होती है।
  • हरी खाद: विशेष पौधों को उगाकर मिट्टी में मिलाना, जिससे नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है।
  • बायोगैस स्लरी: बायोगैस प्लांट से उत्पन्न खाद, जो पौधों के लिए बहुत पोषक होती है।

जैविक खेती की आवश्यकता(Need for Organic Farming)

जैविक खेती क्या है और उसकी आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से महसूस होती है:


  • रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के दुष्प्रभाव: इनका बहुत अधिक उपयोग मिट्टी की उर्वरता को कम करता है और पर्यावरण को नुकसान पहुँचाता है।
  • स्वस्थ खाद्य की आवश्यकता: मानव स्वास्थ्य के लिए रसायनों से मुक्त खाद्य पदार्थों की आवश्यकता बढ़ रही है।
  • स्थायी कृषि प्रणालियों की आवश्यकता: अधिक समय के लिए कृषि उत्पादन के लिए स्थायी तरीकों का अनुसरण करना।

जैविक खेती करने के कुछ तरीके(Methods of Organic Farming)

जैविक खेती करने के प्रमुख तरीके निम्नलिखित हैं:


  • मिट्टी की तैयारी: जैविक खादों के हवाले से मिट्टी की उर्वरता बढ़ाना। जैविक तरीकों से प्राप्त बीजों का चयन करना।
  • बुवाई और रोपाई: सही समय और दूरी पर बुवाई करना।
  • जैविक कीटनाशकों का उपयोग: नीम तेल, गोमूत्र, गाजर घास का अर्क इत्यादि का उपयोग करके।
  • फसल प्रबंधन: फस्ल चक्र, मिश्रित खेती और निराई-गुड़ाई का फॉलो नै।

जैविक खेती कैसे करें?(How to do Organic Farming)

जैविक खेती करने के लिए निम्नलिखित चरण किए जा सकते हैं:


मिट्टी टेस्ट: 

आप मिट्टी के टेस्ट से जान सकेंगे कि मिट्टी कितनी गुणवत्ता की है और पोषक तत्वों की कितनी मात्रा मौजूद है। इससे आपको यह निर्धारण करने में सहायता मिलेगी कि आपको कौन-कौन सी जैविक खाद और उर्वरक की आवश्यकता है।


जैविक खादों का उपयोग:

खेत में गोबर खाद, वर्मी कंपोस्ट, हरी खाद और बायोगैस स्लरी का नियमित उपयोग करें। यह मिट्टी की उर्वरता बनाए रखता है और रसायनों से बचाता है।


प्राकृतिक कीट नियंत्रण:

नीम का तेल, लहसुन-अदरक का घोल, गोमूत्र आदि का छिड़काव करें ताकि फसलें कीटों से सुरक्षित रहें।


फसल चक्र अपनाएं:

एक ही प्रकार की फसल को बार-बार उगाने से मिट्टी की उर्वरता कम होती है। इसलिए फसलों को बदल-बदल कर उगाना चाहिए।


पानी का उचित प्रबंधन:

ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग जैसी तकनीकों का उपयोग करें ताकि पानी की बर्बादी न हो और फसलों को पर्याप्त नमी मिलती रहे।


कम खर्च पर जैविक खेती कैसे करें?(How to do Organic Farming at Low Cost)

यदि आप अधिक वित्तीय लागत के बिना जैविक खेती करना चाहते हैं, तो यहां के पालन की निर्देशांक करें:


खाद और उर्वरक का उपयोग: रासायनिक उर्वरकों की बजाय, गोबर खाद, कम्पोस्ट और हरी खाद का उपयोग करें। यह सस्ते और प्राकृतिक होते हैं।


कम्पोस्ट बनाना: खेत में पौधों के अवशेष, किचन के अपशिष्ट और गोबर को इकट्ठा करके खुद कम्पोस्ट बनाएं, इससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता कम होती है।


मल्चिंग (Mulching): सूखी घास, पत्तियां, या अन्य जैविक सामग्री का उपयोग करके मिट्टी को ढकें। इससे न केवल मिट्टी की नमी बनी रहती है, बल्कि खरपतवार भी कम होते हैं।


फसल चक्रीकरण (Crop Rotation): हर मौसम में एक ही फसल उगाने की बजाय, फसल बदल-बदल कर उगाएं। इससे मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है और कीटों का आक्रमण भी कम होता है।


प्राकृतिक कीट नियंत्रण: जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें जैसे नीम का तेल या लहसुन का अर्क। इसके अलावा, लाभकारी कीटों का इस्तेमाल करें जो कीटों को नियंत्रित करते हैं।


बीज बचाना: हर साल नए बीज खरीदने की बजाय, अपनी फसल से बीज इकट्ठा करें। यह खर्च को कम करने में मदद करता है।


कृषि उपकरण का सरल प्रयोग: महंगे उपकरणों की बजाय सस्ते और सरल उपकरणों का उपयोग करें, जिनसे काम आसानी से हो सकता है।


वर्षा जल संचयन: पानी की बचत के लिए वर्षा जल संग्रहण प्रणाली का उपयोग करें, जिससे पानी की आवश्यकता कम होगी और लागत भी घटेगी।


इन सरल तरीकों से आप कम खर्च में जैविक खेती कर सकते हैं और अपने खेत की सेहत और उत्पादन को बढ़ा सकते हैं।

जैविक कृषि के फायदे(Benefits of Organic Farming)

जैविक खेती के फायदे कई हैं जो सिर्फ किसान तक ही, और नियमित समाज और पर्यावरण के लिए भी अध्यात्मिक हैं:


स्वस्थ शहद:

विष के बिना खाद्य पदार्थ स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होते हैं। शहद एक प्राकृतिक मिठास है जो न केवल स्वाद में अच्छा होता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है।


मिट्टी का संगठन मजबूत होता है:

जैविक खादों के कारण मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधि प्रेरित होती है।


दीर्घकालिक उत्पादन:

जैविक खेती मिट्टी को स्वस्थ बनाकर कृषि को दीर्घकालिक रूप से संभव करती है।


निम्न लागत, अधिक प्रॉफिट:

जब स्थानीय संसाधनों का उपयोग किया जाता है, तो खेती का खर्च बहुत कम हो जाता है।


पर्यावरण संरक्षण:

जल, वायु और मिट्टी प्रदूषण को प्रभावित करती है, जिससे प्रकृति संतुलित रहती है। 


निष्कर्ष(Conclusion)

जैविक खेती क्या है? यह न केवल एक कृषि प्रणाली है, बल्कि जीवन जीने का एक तरीका भी है जिसमें प्रकृति के साथ संतुलन बनाया जाता है। आज जब रासायनिक खेती के दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं, तो जैविक खेती की आवश्यकता और भी बढ़ गई है। 


यह खेती न केवल किसानों को आर्थिक तौर पर मजबूत करती है, बल्कि उपभोक्ताओं को स्वस्थ और सुरक्षित भोजन भी देती है। यदि आप जैविक खेती कैसे करें और जैविक खेती को कम लागत में कैसे अपनाएं, यह जानना चाहते हैं तो उपर दिए गए तरीकों का पालन करके आप एक सफल जैविक किसान बन सकते हैं।





कैसे जैविक खेती की जाती है?

जैविक खेती में कीटनाशकों और रासायनिक उर्वरकों की जगह पर प्राकृतिक कीटनाशकों (गोमूत्र, नीम का तेल) और जैविक खाद (गोबर खाद, वर्मी कंपोस्ट) का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा, फसल चक्र, मल्चिंग, और मिट्टी की देखभाल भी अनिवार्य होती है।


प्राकृतिक खेती और जैविक खेती में क्या अंतर है?

प्राकृतिक खेती में कोई बाहरी इनपुट (यहाँ तक कि जैविक खाद) का उपयोग नहीं किया जाता, जबकि जैविक खेती में जैविक खाद, गोबर, और वर्मी कंपोस्ट जैसे प्राकृतिक उत्पादों का उपयोग किया जाता है। प्राकृतिक खेती पूरी ज़ीरो बजट होती है।


जैविक खाद कैसे बनाई जाती है?

जैविक खाद के उत्पादन के लिए गोबर, सूखी पत्तियाँ, रसोई तालों और खेत के अवशेष को एक गड्ढे में भरकर सड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है। 2–3 महीने बाद यह कंपोस्ट खाद तैयार हो जाती है।

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